लक्ष्मी मंत्र भावार्थ सहित | Lakshmi Mantra 

लक्ष्मी मंत्र भावार्थ सहित (1)

यहां इस लेख में आपको लक्ष्मी मंत्र अर्थ सहित उपलब्ध कराएं है जो अक्सर लक्ष्मी पूजा करते वक्त भक्तजन व पंडितजी को जरूरत पड़ती है इस पोस्ट का सभी को लक्ष्मी मंत्र आपको काफी पसंद आएगा।

लक्ष्मी मंत्र भावार्थ सहित – Lakshmi Mantra in Hindi

(1)

नमस्ये सर्वलोकानां जननीमब्जसम्भवाम् ।
श्रियमुन्निद्रपद्माक्षीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम् ॥

भावार्थ : सम्पूर्ण लोकों की जननी, विकसित कमल के सदृश नेत्रों वाली, भगवान् विष्णु के वक्षः स्थल में विराजमान कमलोभ्दवा श्रीलक्ष्मी देवी को मैं नमस्कार करता हूँ ।

Lakshmi Mantra in Hindi

(2)

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते । 
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥

भावार्थ : श्रीपीठपर स्थित और देवताओं से पूजित होने वाली हे महामाये। तुम्हें नमस्कार है। हाथ में शंख, चक्र और गदा धारण करने वाली हे महालक्ष्मी ! तुम्हें प्रणाम है ।

(3)

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि । 
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥

भावार्थ : गरुड़पर आरूढ हो कोलासुर को भय देने वाली और समस्त पापों को हरने वाली हे भगवति महालक्ष्मी ! तुम्हें प्रणाम है ।

सरस्वती मंत्र अर्थ सहित

(4)

सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि । 
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥

भावार्थ : सब कुछ जानने वाली, सबको वर देने वाली, समस्त दुष्टों को भय देने वाली और सबके दु:खों को दूर करने वाली, हे देवि महालक्ष्मी ! तुम्हें नमस्कार है ।

Lakshmi Mantra in Hindi

(5)

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि । 
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥

भावार्थ :सिद्धि, बुद्धि, भोग और मोक्ष देने वाली हे मन्त्रपूत भगवति महालक्ष्मी ! तुम्हें सदा प्रणाम है ।

(6)

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि । 
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥

भावार्थ : हे देवि ! हे आदि-अन्त-रहित आदिशक्ते ! हे महेश्वरि ! हे योग से प्रकट हुई भगवति महालक्ष्मी ! तुम्हें नमस्कार है ।

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नवग्रह वैदिक मंत्र

(7)

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे । 
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥

भावार्थ : हे देवि ! तुम स्थूल, सूक्ष्म एवं महारौद्ररूपिणी हो, महाशक्ति हो, महोदरा हो और बडे-बडे पापों का नाश करने वाली हो। हे देवि महालक्ष्मी ! तुम्हें नमस्कार है ।

(8)

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि । 
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥

भावार्थ : हे कमल के आसन पर विराजमान परब्रह्मस्वरूपिणी देवि ! हे परमेश्वरि ! हे जगदम्ब ! हे महालक्ष्मी! तुम्हें मेरा प्रणाम है ।

(9)

श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते । 
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥

भावार्थ : हे देवि तुम श्वेत वस्त्र धारण करने वाली और नाना प्रकार के आभूषणों से विभूषिता हो। सम्पूर्ण जगत् में व्याप्त एवं अखिल लोक को जन्म देने वाली हो। हे महालक्ष्मी ! तुम्हें मेरा प्रणाम है ।

Lakshmi Mantra in Hindi

(10)

पद्मालयां पद्मकरां पद्मपत्रनिभेक्षणाम् । 
वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियामहम् ॥

भावार्थ : कमल ही जिनका निवास स्थान है, कमल ही जिनके कर कमलों में सुशोभित है तथा कमल दल के समान ही जिनके नेत्र हैं उन कमलामुखी कमलनाभ प्रिया श्रीकमला देवी की मैं वन्दना करता हूँ ।

गणेश जी का मंत्र भावार्थ सहित

(11)

विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम् । 
लक्ष्मीं प्रियसखीं भूमिं नमाम्यच्युतवल्लभाम् ॥

भावार्थ : भगवान् विष्णु की भार्या, क्षमास्वरूपिणी, माधवी, माधवप्रिया, प्रियसखी, अच्युतवल्लभा, भूदेवी भगवती लक्ष्मी को मैं नमस्कार करता हूँ ।

(12)

कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् । 
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ॥

भावार्थ : जो साक्षात् ब्रह्मरूपा, मन्द-मन्द मुसकरानेवली, सोने के आवरण से आवृत, दयार्द्र, तेजोमयी, पुर्णकामा, भक्तनुग्रहकारिणी, कमल के आसन पर विराजमान तथा पद्यवर्णा हैं, उन लक्ष्मी देवी का मैं यहाँ आवाहन करता हूँ ।

(13)

अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनाद प्रमोदिनीम् । 
श्रियं देवीमुप ह्रये श्रीर्मा देवी जुषताम् ॥

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भावार्थ : जिस देवी के आगे घोड़े तथा उनके पीछे रथ रहते हैं तथा जो हस्तिनाद को सुनकर प्रमुदित होती हैं, उन्हीं श्री देवीका मैं आवाहन करता हूँ , लक्ष्मी देवी मुझे प्राप्त हों ।

Lakshmi Mantra in Hindi

(14)

गंधद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् । 
ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोप ह्वये श्रियम् ॥

भावार्थ : जो दुराधर्षा तथा नित्यपुष्टा हैं तथा गोबर से युक्त गन्धगुणवती पृथिवी ही जिनका स्वरूप है, सब भूतों की स्वामिनी उन लक्ष्मीदेवी का मैं यहाँ अपने घर में आवाहन करता हूँ ।

शिव मंत्र भावार्थ सहित

(15)

महालक्ष्मै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि । 
तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात् ॥

भावार्थ : हम विष्णु पत्नी महालक्ष्मी को जानते हैं तथा उनका ध्यान करते हैं । वे लक्ष्मी जी हमें प्रेरणा प्रदान करें ।

Lakshmi Mantra – लक्ष्मी मंत्र इन हिंदी

(16)

सद्यो वैगुण्यमायान्ति शीलाद्याः सकला गुणाः । 
पराङ्मुखी जगद्धात्री यस्य त्वं विष्णुवल्लभे ॥

भावार्थ : हे देवि ! तुम्हारे गुणों का वर्णन करने में तो श्री ब्रह्मा जी की रचना भी समर्थ नहीं है । अत: हे कमलनयने ! अब मुझ पर प्रसन्न होओ और मुझे कभी न छोड़ो ।

(17)

अश्वदायि गोदायि धनदायि महाधने । 
धनं मे जुषतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे ॥

भावार्थ : अश्वदायिनी, गोदायिनी, धनदायिनी, महाधनस्वरूपिणी हे देवी ! मेरे पास धन रहे, आप मुझे सभी अभिलषित वस्तुएँ प्रदान करें ।

Lakshmi Mantra in Hindi

(18)

त्वं माता सर्वलोकानां देवदेवो हरिः पिता ।
 त्वयैतद्विष्णुना चाम्ब जगद् व्याप्तं चराचरम् ॥

भावार्थ : तुम संपूर्ण लोकों की माता हो तथा देवदेव भगवान् हरि पिता हैं । हे मातः ! तुमसे और श्रीविष्णु भगवान् से यह सकल चराचर जगत् व्याप्त है ।

विदुर नीति श्लोक-अर्थ सहित

(19)

त्वं सिद्धिस्त्वं स्वधा स्वाहा सुधा त्वं लोकपावनी । 
सन्ध्या रात्रिः प्रभा भूतिर्मेधा श्रद्धा सरस्वती ॥

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भावार्थ : हे देवी! तुम सिद्धि हो, स्वाहा हो, सुधा हो और त्रिलोकी को पवित्र करने वाली हो तथा तुम ही संध्या, रात्रि, प्रभा, विभूति, मेधा, श्रद्धा और सरस्वती हो

(20)

यज्ञविद्या महाविद्या गुह्यविद्या च शोभने । 
आत्मविद्या च देवि त्वं विमुक्तिफलदायिनी ॥

भावार्थ : हे शोभने ! यज्ञ विद्या, महाविद्या और गृह्यविद्या तुम्हीं हो तथा हे देवि! तुम्हीं मुक्तिफल दायिनी आत्मविद्या हो ।

(21)

स श्लाघ्यः स गुणी धन्यः स कुलीनः स बुद्धिमान् । 
स शूरः स च विक्रान्तो यस्त्वया देवि वीक्षितः ॥

भावार्थ : हे देवि ! जिस पर तुम्हारी कृपा दृष्टि है वही प्रशंसनीय है, वही गुणी है, वही धन्यभाग्य है, वही कुलीन और बुद्धिमान् है, वही शूरवीर और पराक्रमी है ।

Lakshmi Mantra in Hindi

(22)

पद्मानने पद्मऊरु पद्माक्षि पद्मसम्भवे । 
तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम् ॥

भावार्थ : कमल के समान मुखमण्डलवाली ! कमल के समान उरुप्रदेशवाली ! कमल-सदृश नेत्रवाली ! कमल से आविभूर्त होनेवाली ! पद्माक्षि आप उसी प्रकार मेरा पालन करें, जिससे मुझे सुख प्राप्त हो ।

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(23)

पद्मानने पद्मविपद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि । 
विश्वप्रिये विष्णुमनोsनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सं नि धत्स्व ॥

भावार्थ : कमल-सदृश मुखवाली ! कमल-दलपर अपने चरण कमल रखनेवाली ! कमल में प्रीति रखनेवाली ! कमल-दल के समान विशाल नेत्रोंवाली ! समग्र संसार के लिए प्रिय ! भगवान् विष्णु के मन के अनुकूल आचरण करनेवाली ! आप अपने चरणकमल को मेरे हृदय में स्थापित करें ।

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