Postal Ballot क्या है इसका उपयोग कैसे करें?

Postal Ballot क्या है इसका उपयोग कैसे करें?

आज इस लेख में आपको Postal Ballot क्या है इसका उपयोग कैसे करें? इसके बारे में जानकारी देंगे जो लोग सरकारी विभाग में कार्य करते है। जैसे, देश के जवान, पुलिस अधिकारी आदि चुनाव बुथिंग से दूर रहकर भी वतदान दे सकते है। Postal Ballot वैसे लोगो के लिए एक बहुत अच्छा तरीका है।

अपना वोट देने के लिए उनको कही जाने का भी जरूरत नही है जी हाँ वही अपने घर से (वोट) दे सकते है। अगर आप चाहें तो Postal Ballot के द्वारा अपने घर से ही वोट दे सकते है।

आपको कुछ करने की भी जरूरत नही है। अगर आप यह तरीका अपनाते है तो ये डाक द्वारा होगा आपके घर पर डाकिया द्वारा लाया पोस्टल बैलट पर आप अपना मत दे सकते है तो चलिए और तरह अच्छी जानते है Postal Ballot क्या होता है ये कैसे काम करता है? चलिए शुरू करते है।

Postal Ballot क्या है?

चुनाव में कुछ लोग जैसे सैनिक, चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारी और देश के बाहर काम करने वाले सरकारी अधिकारी चुनावों में मतदान नहीं कर पाते हैं, इसलिए चुनाव आयोग ने चुनाव नियामावली 1961 के नियम 23 में संशोधन करके इन लोगों को चुनावों में पोस्टल बैलट या डाक मत पत्र की सहायता से वोट डालने की सुविधा प्रदान की है।

पोस्टल बैलेट एक डाक मत पत्र होता है यह 1980 के दशक में चलने वाले पेपर्स बैलेट पेपर की तरह ही होता है जो लोग पोस्टल बैलेट की मदद से वोट डालते हैं तो इन्हें Service Voters या Absentee Voters भी कहा जाता है।

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चुनाव आयोग पहले ही चुनावी क्षेत्र में डाक मतदान करने वालों की संख्या को निर्धारित कर लेता है और केवल उन्हीं लोगों को Postal Ballot भेजा जाता है इसे Electronically Transmitted Postal Ballot System (ETPBS) भी कहा जाता है।

पोस्टल वॉलेट कैसे काम करता है?

मतदाता द्वारा अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट देकर इस Postal Ballot को डाक या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से वापस चुनाव आयोग के सक्षम अधिकारी को लौटा दिया जाता है। आज कल पोस्टल बैलट इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजा जा रहा है।

ऐसे मतदाताओं की पहचान की जाती है कि उसको पोस्टल बैलट भेजा जाता है उनको ईमेल के द्वारा पोस्टल बैलट भेज दिया जाता है और मत दाता अपने पसंद की उमीदवार को वोट देकर ईमेल की माध्यम से अपना चुनाव भेज देता है और इस तरह से मत दाता अपने घर से दूर रहने के बाद भी अपना वोट दे सकता है

पोस्टल वॉलेट का उपयोग कौन-कौन कर सकता है?

इस नई व्यवस्था के तहत खाली पोस्टल बैलट को सेना और सुरक्षा बलों को इलेक्ट्रिक तौर पर भेजा जाता है जिन इलाकों में इलेक्ट्रिक तरीके से पोस्टल बैलट नहीं भेजा जा सकता है वहां पर डाक के माध्यम से पोस्टल बैलट भेजा जाता है जिनको ये भेजा जाता है उनका नाम कुछ इस प्रकार है।

  1. सैनिक
  2. चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारी
  3. देश के बाहर कार्यरत सरकारी अधिकारी
  4. प्रिवेंटिव डिटेंशन में रहने वाले लोग (कैदियों को वोट डालने का अधिकार नहीं होता है)
  5. 80 वर्ष से अधिक की उम्र के वोटर (रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है)
  6. दिव्यांग व्यक्ति (रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है)
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पोस्टल वॉलेट की शुरुआत कब हुई?

पोस्टल बैलेट की शुरुआत 1877 में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में हुई थी इसे कई देशों जैसे इटली, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, स्विट्ज़रलैंड और यूनाइटेड किंगडम में भी इस्तेमाल किया जाता है हालाँकि इन देशों में इसके अलग अलग नाम हैं।

भारतीय चुनाव आयोग ने चुनाव नियामावली, 1961 के नियम 23 में संशोधन करके इन लोगों को चुनावों में Postal Ballot या डाक मत पत्र की सहायता से वोट डालने की सुविधा के लिए 21 अक्टूबर 2016 को नोटिफिकेशन जारी किया गया था।

जब भी किसी चुनाव में वोटों की गणना शुरू होती है तो सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होगी इसके बाद ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती होगी पोस्टल बैलेट की संख्या कम होती है और ये पेपर वाले मत पत्र होते हैं इसलिए इन्हें गिना जाना आसान होता है।

इस प्रकार भारतीय चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गयी Postal ballot की शुरुआत अपने आप में एक बड़ा कदम है लेकिन कई देशों में इसमें गड़बड़ी भी हो चुकी है और पारदर्शिता की कमी भी देखी गयी है इसलिए चुनाव आयोग को इसके नियमों को कड़ाई से पालन कराने की जरूरत है।

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